गरीब परिवार की कहानी - Poor Family
एक छोटे से तालुके में एक छोटा-सा परिवार रहता था! (Poor Family) उस परिवार में तीन लड़किया और एक लड़का और उन बच्चो की, माँ ! ऐसा उनका परिवार था! बच्चो के ऊपर पिता की, छत्र छाया नहीं होने के कारन तीनो लड़किया लोगो के घर झाड़ू कटका करती और अपने घर की, जरुरत पूरी करती!
उन लड़किया का भाई अमर उम्र में दो-तीन साल का ही था! तीनो बहिने अपना अपना काम ख़त्म करने के बाद घर आती और अमर के साथ खेलती, मस्ती करती और रात होने के बाद फिल्म देखने के लिए! अपनी के सामने हट करती थी!
लोगो के यहाँ झाड़ू कटका करते करते कब लड़किया शादी की, उम्र की हो गई ओ समज में ही नहीं आया! उन लड़ियो को बहुत दूर दूर-से लड़के देखने आये पर किसी का हात नहीं तो किसी का पाँव. उन लड़कियों का सौतेला मामा था ! उसको तो सिर्फ पैसो से ही लेना देना था! ये बात उन लड़कियों की माँ को समज में आ गई थी!
माँ बनी मजदूर - Poor Family Story
इसी लिए उन लड़कियों की माँ ने अच्छे रिश्ते देख शादी की, (Poor Family) तैयारी करना चालू कर दिया! अमर की माँ ने जीवन भर की, पूंजी बेटियों की, शादी में खर्च कर डाली! लड़कियों की शादी होने के बाद घर की, सब जिम्मेदारी अमर की माँ के कंधो पर आ गई!
अमर की, माँ की, इच्छा थी मेरा अमर पढ़ लिखकर बहुत बड़ा अफसर बने! इसी लिए अमर की, माँ ने लोगो के यहाँ बर्तन माजने का काम करने लगी! पर समाज के लोगो को हसी आने लगी, पाहिले तो लड़किया काम करती थी! और अब उनकी माँ ! अमर की, माँ को गरीब और नजदीक के ही लोग मान-सम्मान देते थे!
पर समाज में कुछ लोग ऐसे थे की, ओ लोग पैसो को ही अपना सब कुछ मानते थे! जो लोग पैसो के लालची और अहंकारी थे! ओ लोग तो अमर की माँ को तो मान-सम्मान देना ही भूल गए थे! कुछ सालो बाद अमर बड़ा हुआ और समझदार भी!
गरीबों की इज्जत - Family Story
एक दिन अमर और अमर की माँ नजदीक के रिश्तेदारों की, शादी में गए! सब रिश्तेदार आपस में मिल रहे थे! पर अमर की माँ अकेले ही खड़ी थी! तभी एक रिश्तेदार अमर के पास आया और हाथ मिला के बोला! तुम किसके लड़के हो! जैसे ही अमर ने अपनी माँ का नाम बताया उसी क्षण उस आदमीने अमर का हाथ छोड़ दिया और वहाँ से चला गया!
अमर को यह देख बहुत बुरा लगा तभी अमर को समज आ गया की, गरीब लोगो के सिवा हमे कोई नहीं पहचानता! अमर को समाज के लोगो का यह बर्ताव अच्छा नहीं लगा और अमर को ग़ुस्सा आया! तभी अमर प्रतिज्ञा की, जिस प्रकार हमारे समाज ने मुझे और मेरी माँ को मान-सम्मान नहीं दिया!
उसी प्रकार में इस समाज को मान-सम्मान नहीं दूंगा! अमर का स्कूल चल रहा था! पर एक दिन माँ को काम से थक हार देख कर, अमर ने खुद काम करने का फैसला किया! जो आदमी अमर को समाज में अच्छा लगा था उस आदमी के पास अमर काम मांगने गया ! और उस आदमीने भी अमर को तुरंत काम दे दिया! क्यों की, उस आदमी का स्वाभाव कुछ अच्छा नहीं था!
गरीबों के साथ दूर व्यवहार - Family Story in Hindi
इसी लिए उसके पास काम करने वाले सभी लोग भाग जाते थे! अमर को तीन - चार दिन ही काम करके हुए! तभी अमर के छोटी छोटी गलती होने पर ओ आदमी अमर को बुरा भला और उसके ऊपर हाथ उठाने लगा! इसी वजह से अमर ने सातवे ही दिन काम छोड़के घर आ गया!
इसका अर्थ ऐसा था की, समाज के लोग समाज को ही मान-सम्मान नहीं देते फिर उस समाज का क्या अर्थ और फायदा है? अमर को पता था की, मेने काम नहीं किया तो हमारा घर कैसे चलेगा! हम लोगो को खाना पीना कोण देगा! इसी लिए अमरने सब कहानी अपनी माँ को बता दी! अमर की, माँ ने दूसरे ही दिन एक अच्छी जगह नौकरी लगवा दी!
अमर को उस जगह काम कर के एक ही महीना हुआ था! पर उस जगह के मालिक ने अमर को गाली गलोच, ऐसा कुछ भी नहीं किया! दो महीनो के बाद सब कॉलेज खुल गए! और अमर अपने नियम से कॉलेज जाने लगा!
परिवर्तन का बदलाव - Parivartan
पर समाज का बर्ताव बहुत ही बुरा होने लगा था! अमर हे भूल नहीं रहा था! समाज कैसे माँ को मान-सम्मान दे रहा है! फिर अमर ने अपने चातुर्य से एक उक्ति की, और ऐसी जगह नौकरी की, जहा-से दो घंटे की, छुट्टी मिले! अमर को अलग-अलग किताबे, कादंबरी, कहानिया, आत्मकथाएं लिखने का छंद था! पर गरीब होने के कारन ओ प्रकाशित कर नहीं पाता !
अमर ने यह लिखने की छवि छोड़ी नहीं! दो घंटे की छुट्टी के वक़्त अमर कंप्यूटर भी सिखने जाता था! पर गली में रहने वाले और समाज के लोग यह समझते की, अमर काम पर ही जाता है! अमर ने तीन महीनो में सभी कंप्यूटर कोर्स पुरे कर लिए ! और उसे अच्छी तरह से समझ भी लिया!
कॉलेज पूरा होने के बाद अमर ने काम छोड़ दिया और शहर में आ गया! शहर में आने के बाद अमर ने नौकरी ढूढ़ने की बहुत कोशिश की, पर नौकरी मिलने के आलावा अमर ने जो पुस्तके, कादंबरी, नाटके लिखी थी उसीसे अमर का नाम उचा हो गया था!
किस्मत वक़्त मांगती है - Kismat ka Khel Hai Sara
अमर दुनिया के सामने एक लेखक के रूप में आ चूका था! इस लेखनी से अमर का पुर्नजन्म हो गया था! अमर की इस प्रसिद्धि से अमर को बड़ी बड़ी कंपनी से जॉब के लिए ऑफर आने लगे! कई जॉब ऑफर के बाद अमर ने एक ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करना पसंत किया! क्यों की, (Poor Family) अमर को लेखनी के साथ-साथ डिझाइन का भी शौक था! अमर अपना काम पूरी ईमानदारी से करता और घर में आने के बाद पुस्तके लिखने का शौक पूरा करता!
एक दिन अमर गाड़ियों की डिझाइन करने में इतना खोया हुआ था की, बॉस ने इतनी आवाज दी पर अमर का ध्यान सिर्फ डिझाइन में था! अमर का रिप्लाय ना आने पर अमर का बॉस चुपके से देखता है तो देखते ही रहता है! और अमर को बोलता है!
क्या बात है अमर गाड़ियों का डिझाइन तो बेस्ट है ! अमर एक काम करो ये डिझाइन मुझे मेल करो ! कुछ दिनों बाद बॉस ने एक मीटिंग ली उस मीटिंग में बॉस ने कहा की, लेडीज एंड जेंटल मन हमारे यहाँ के अमर सर ने कुछ गाड़ियों की, डिझाइन की, थी! और मजे की, बाद यह की, उन गाड़ियों को भारत सरकार ने सहमती दे दी है! और इस डिझाइन को पांच से छ करोड़ का प्रोजेक्ट भी मिल चूका है!
हर वक़्त उचा होना - Waqt ka Ye Parinda
यह सुन के अमर को विश्वास ही नहीं हो रहा था! पाहिले लेखक बाद में डिझायनर ! इन कामो से अमर करोड़ पति हो गया था! एक दिन अमर अपनी ख़ुर्शी पर उदास बैठा था! अमर के मन में एक ही सवाल चल रहा था की, अब समाज मेरे साथ कैसा व्यवहार करेगा! यही अमर सोच रहा था!
तभी अमर का बॉस आता और पूछता है! अमर कुछ परिशानी है क्या? मुझे बताओ! तब अमर कहता है की, सर में ये बिजनेस घर में रहकर कर सकता हु क्या? पर अमर यह टेंशन में था की, मुझे परमिशन मिलेगी की,नहीं! पर अमर का कहना अच्छा लगा और बॉस ने अमर को परमिशन दे देते है! क्यों की, बॉस को यह विश्वास था अमर एक अच्छा और विश्वासु लड़का है! इसे परमिशन देने में कुछ हर्ज नहीं!
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नाम होने में वक़्त लगता है - Success Career
दो - तीन दिन में अमर अपने गांव में लौटा नाम, शोहरत और पैसा इन चीजों की वजहसे अमर को समाज में बहुत मान-सम्मान दिया! पर जब अमर गरीब था तब अमर को इसी समाज ने कभी मान-सम्मान नहीं दिया! इंसान गरीब हो या आमिर उसको मान-सम्मान देना चाहिए! वरना किस्मत बदलते वक़्त नहीं लगता!
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