Short Moral Story in Hindi Of Dream Home - बच्चों के सपने कैसे हो?
बहुत (Short Moral Story in Hindi Of Dream Home) सारे बच्चे सुन्दर सपना देखते है। उस सपने में इंग्लैंड, फ़्रांस, जापान, अमेरिका ऐसे बड़े बड़े देशो में खुम के आते है। कुछ बच्चे तो भूत, प्रेत, आत्मा इन सब के भयानक सपने देखते है। इसी लिए ओ बीमार भी हो जाते है। इसका कारन एक ही है।
जब भी किसी औरत का बच्चा सोता नहीं तो माँ बोलती है की, सो जाओ नहीं तो तुम्हे राक्षस उठाके ले जायेगा। इस वजह से बच्चे घबराके जल्दी सो जाते है। और सोने के बाद भी भूत, प्रेत के सपने देखते है। इसी लिए सभी दुनिया की, माँ ओ को हाथ जोड़के एक ही बोलना चाहता हु की, आपने लाडले या अपनी लाड़ली को ऐसी स्टोरी ना सुनाये। उनको तो आप जीवन की, परिभाषा सिखाये।
एक छोटे बच्चे को गेम खेलना बहुत अच्छा लगता है। और रात भी ज्यादा हो गई हो, तो आप उसे ये बता सकती है की, बेटा अभी तुम जल्दी सो जाओ, कल सुबह में तुम्हे वीडियो गेम खेलने के लिए निकाल दूंगी। इस वजह से बच्चे जल्दी सोते है। और सुबहे जल्दी भी उठ जाते है।
सपनो की परीभाषा - short moral story
अभी (Short Moral Story in Hindi Of Dream Home) आप देखे की, एक नो साल के बच्चे का सुन्दर सपना। एक शहर में गोविन्द नाम का लड़का रहता था। गोविन्द के माता-पिता मिडल क्लास के थे। फिर भी उनका परिवार सुखी था। गोविन्द के पिता का गाड़ी बेचने का यापार था। एक दिन गोविन्द के पिता दुकान पर जाने के बाद, गोविन्द की, माँ ने गोविन्द को तैयार कर के स्कुल में छोड़ के आती है।
गोविन्द के स्कुल में गोविन्द के मास्टर जी सभी पुस्तको की, जानकारी और उनका महत्त्व क्या है। यह सब बाते बताई। बाद में मास्टर जीने बच्चो को सिखाने की तरफ ध्यान दे दिया। पाठ पढ़ाने के बाद मास्टरजीने सभी बच्चो को एक सवाल पूछा की, वास्तु क्या है? इस सवाल का जवाब चाहिए था। पर उसी वक़्त स्कुल की, छुट्टी हो जाती है।
पर तभी मास्टरजी कहते है की, ये सवाल का उत्तर घर से लेके आना। गोविन्द घर आते ही अपना स्कूल बैग बेड पर फेक देता है। और किचन में जा के माँ से बोलता है की, माँ-माँ ये वास्तु क्या है। पर गोविन्द की माँ काम में बीजी होने से, गोविन्द की माँ उसे थोड़ा देर रुकने के लिए कह देती है। पर गोविन्द अपनी जिद नहीं छोड़ता। और अपना सवाल पूछता रहता है। थोड़ी देर में गोविन्द के पापा दुकान से घर आते है। तो क्या देखते है।
माँ बेटे की नोक-झोक
गोविन्द अपनी माँ को मार के इधर उधर भागता है। ये देखते ही गोविन्द के पापा जोर-से चिल्ला के गोविन्द को शांत करते है। बाद में गोविन्द के पापा गोविन्द की, माँ से कहते है की, सुनती हो, ये गोविन्द तुम्हे मार मारके क्या पूछ रहा था।
गोविन्द की, माँ कहती है की, कुछ नहीं, स्कुल से आते ही एक ही सवाल पूछ रहा था की, वास्तु क्या होता है। तब गोविन्द के पापा कहते है की Short Moral Story in Hindi Of Dream Home उसको बता देती ना। तुम भी ना। तब गोविन्द की,माँ कहती है की,कैसे बताती मुझे रात के खाने की,तैयारी जो करनी थी। अब में उसे सोने के टाइम बता दूंगी। रात होने के बाद गोविन्द बिस्तर पर उदास बैठा रहता है।
उसी वक्त गोविन्द की, माँ, गोविन्द के नजदीक जाके कहती है की, क्या हुआ मरे राजकुमार को? तब गोविन्द अपनी मधुर आवाज में कहता है की, कुछ नहीं हुआ, तुम जाओ इधर से। तुम मुझे वास्तु क्या है। तुम मुझे ये नहीं बताती ना। जाव तुम्हारी मेरी कटी।
गोविन्द का सपना - hindi short moral story
तब गोविन्द की (Short Moral Story in Hindi Of Dream Home) माँ मस्ती में आ के कहती है की, अरे बाबा इसी लिए मेरा बच्चा उदास है क्या ? ठीक है बताती हु। ये सुनते ही गोविन्द अपनी माँ की, बात ध्यानसे सुनने लगा। और माँ की, गोद में जा के बैठ गया। गोविन्द की, माँ कहती है की, वास्तु मतलब एक सुन्दर सा घर। ऐसा घर जहा कुदरत की, सुंदरता हो। इस कुदरत की, सुंदरता में हमारा मन बहुत ही खुश रहता है।
उस घर के आजु बाजू में जरा सा भी कचरा ना हो। उसे ही सुन्दर वास्तु याने की, घर कहते है। इतना कह कर गोविन्द की, माँ सोने के लिए निकल जाती है। क्यों की, गोविन्द कहानी सुनते सुनते सो जाता है। माँ के कहे नुसार गोविन्द को वैसा ही सपना पड़ता है।
गोविन्द हम सबको कहता है की, जब में सपने में गया तो मुझे एक अजीब सा एक गेट दिखा। ओ गेट कोई लोखड़ या लकड़ी का नहीं था। बल्कि ओ एक काच का था। उस घर के आंगन में एक सुन्दर कारंजा दिख रहा था। घर के अजु बाजु में छाव देने वाले बड़े बड़े पेड़ थे। पुराने ज़माने में बैठने के लिए एक जगह थी उसे चबूतरा कहते है।
सपनो का विश्लेषण - a short moral story
उस चबूतरे (Short Moral Story in Hindi Of Dream Home) के अजु बाजु में कलर फूल पौधे थे। घर के पीछे बेर,चीकू, सीताफल, आम,रामफल और बहुत सारे फल देने वाले पेड़ थे। मुझे मरे सपने की, पूरी जानकारी तो नहीं। पर मुझे जितना याद है। उतना में आपको बता सकता हु। ऐसा गोविन्द हम सबको कहता है। घर के हॉल में हर तरह की, डिजाईन की, तोरने लगाई हुई थी।
हॉल में बहुत अच्छी तरह से रखे हुए सोफा सेट, दाये बाजु में भगवान की, तस्वीरें थी। सीलिंग फैन के ऊपर मतलब सीलिंग पर डिजिटल लाईट थी। ऐसा ओ हॉल सजाया हुआ था। किचन की खिड़कियों में फूलदानी के कुंडिया रखिये थे। क्यों की, किचन में फूलो का जो सुगंद रहता है। ओ अगर खाने में चला जाये तो खाना और भी स्वादिस्ट हो जाता है। इस निसर्गरम्य घर को देख गोविन्द को ये सपना स्वर्ग जैसा लगा।
ऐसा गोविन्द का स्वप्न घर बन गया।
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