अमावस्याकी रात मतलब क्या? | Amavasya 2024
अमावस्याकी (Amavasya-Amavasya 2024) रात मतलब क्या? ऐसी रात जो हमारा पसीना निकल दे। वही तो नहीं। इस कालीरात की, पापी आत्मा, भूत, पिसाज,डायन ये सभी इस रात की, बहुत बड़ी पूजा करते है। क्योकि ये अमावस्या की, रात इन पापी आत्मा, भूत, पिसाजो के लिए बहुत लाभदायक रहती है। और तंत्र मंत्र करने वाले मंत्रिको को लिए भी ये रात लाभदायक रहती है।
अमावस्या की, रात में ये भूत, पिसाज, आत्मा ये बहुत ही ताकत वर रहते है। और बाकि दिन में उनकी पापी शक्ति ज्यादा नहीं रहती। मतलब उनका प्रभाव कम रहता है। भूत, प्रेत ये भगवान ने नहीं तैयार किये, ये तो हमारे आपके जैसे लोगो की करनी है।
Amavasya Ki Raat
आपने भारत देश में कहते है ना। (Amavasya-Amavasya 2024) "जैसी करनी, वैसी भरनी " जिस तरह से इंसान अपना कर्म करेगा उसी तरह उसका फल उसे मिलेगा। इंसान तो वैसे तो बहुत पापी है। इंसानो ने भूत, प्रेतों को जन्म दिया इसका मतलब ये है की, जब इंसान किसी लाचार और गरीब आदमी को, बिना कोई मतलब के मरता पीटता है। और इतना मरता है की, मार ही डालता है।
बाद में वही इंसान भूत बनके उसे मरने वाले इंसान को मारने का प्रयास करता है। जो इंसान भूत बनते है। ओ आत्माये सिर्फ अपना प्रतिशोद लेने के लिए इस धरती पर रह जाती है। क्यों की, उन्हें शांति मिल नहीं पाती। कुछ आत्माये इंसानी रूप में पापी रहते है। और मरने के बाद में ही पापी रहते है।
बाबूराव की कहानी
क्यों की, कुछ लोग इतने बुरे होते है की, उन्हें दूसरे लोगो को परेशान करना इसी में उनको आनंद आता है। अमावस की (Amavasya-Amavasya 2024) रात ये अच्छी और पापी आत्माओ की रात होती है। एक गांव में बाबूराव नाम का एक आदमी रहता था। बाबूराव के पास एक अच्छी सरकारी नौकरी थी।
बाबूराव के घर में एक लड़का, एक लड़की और बाबूराव की, सुन्दरसी पत्नी। ऐसा बाबूराव का परिवार था। बाबूराव के जीवन में सुख की लहर थी। पर कुछ लोग बाबूराव का सुखी परिवार देख जलकुकड़े हो जाते थे। एक दिन बाबूराव कुछ सरकारी काम से बहार जाता है।
पर कुछ लोग शराब के नशे में बाबूराव को भला बुरा कह देते है। कुछ गली गलोच करते है। और मार पिट करने लगते है। शराब के नशे में ओ लोग बाबूराव को बहुत मारते है। बाबूराव की, पत्नी आशालता इधर बाबूराव की घर आने की, राह देख रही थी।
बाबूराव की मौत
तभी आशालता को दूर से ही बाबूराव दिख जाता है। इधर बाबूराव चलते चलते रस्ते पर गिर जाता है। ये देख आशालता भाग दौड़ के बाबूराव के पास पोहचती है। पोहचते ही देखती है तो क्या? की (Amavasya-Amavasya 2024) बाबूराव बहुत ही बुरी हालत में और खून से लतपत था। ये देखते ही आशालता जोर जोरसे रोने लगी।
Amavasya - Somvati Amavasya
उसकी रोने की, आवाज सुनके सब पडोसी दौड़ते हुए आये। उन पडोसो में पांडुरंग भाऊ ने डॉक्टर साब को बुलाया। डॉक्टर आने के बाद डॉक्टर साब ने बाबूराव की,नस चेक करते हुए कहा की, मुझे और थोड़ा जल्दी बुलया होता तो अच्छा होता। ये सुनते ही आशालता सुन्न हो गई।
गाववालो ने बाबूराव का अंतिम संस्कार कर दिया। पर इधर बाबूराव की, आत्मा प्रतिशोद में तड़फ रही थी। जब इधर इन लोगो को पता चला की, बाबूराव की मौत हो गई। ये सुनते ही उनका नशा एक झटके में उतर गया। पर उनमे से एक कहता है की, अच्छा हुआ मर गया साला अब उसकी सुन्दर सी औरत हमारी।
बाबूराव की आत्मा
पर बाबूराव की, आत्मा वही बैठ के सब सुन रही थी। बाबूराव को इतना ग़ुस्सा आया की, उसने उन सबको मरने का प्रयास भी किया। पर क्या करे बाबूराव अभी एक आत्मा बन चूका था। बाबूराव एक पत्थर पर बैठके सोच रहा था। (Amavasya-Amavasya 2024) तभी एक मांत्रिक को बाबूराव की, आत्मा उदास और परेशान बैठी हुई दिखी। ये बात मांत्रिक को विचलित कर रही थी।
आदमी मरने के बाद भूत बनके लोगो को परेशान करती है। पर ये ? ये देख मांत्रिक बाबूराव के पास जाते है। और कहते है। बेटे तुम इतने उदास क्यों बैठे हो। तब बाबूराव अपनी पूरी जीवन कथा मांत्रिक को बताता है। बाबूराव की, दुःख भरी कहानी सुनने के बाद मांत्रिक बाबूराव को विश्वास दिलाता है की, में तुम्हे ऐसी शक्ति दूंगा की, तुम उन लोगो को उनके पापो की, सजा दे सकते हो।
Amavasya - Hariyali Amavasya
इधर बाबूराव की,पत्नी आशालता गहरी मिंद सो रही थी। उतने में वही तीन लोग घर के अंदर आ जाते है। घर के दरवाजे का आवाज होने से (Amavasya-Amavasya 2024) आशालता हड़बड़ा के उठ जाती है। और देखती तो क्या ? ओ तीनो दरिंदे सामने खड़े रहते है। डर के मारे आशालता उनको विरोद करने लगती है। पर उन लोगोके सर उसकी सुन्दरता और नजरो में हावस थी।
बाबूराव का अंतिम बदला - Bhoot Amavasya
तीनो आशालता की और बढ़ने लगे। तभी बाबूराव की आत्मा उनके सामने आ जाती है। ये देख तीनो का पसीना निकल जाता है। और कहते है की, तुम तो मर गए थे ना। हा मर तो गया था। तुमने मारा था इसी लिए में मर गया था। पर अब तुम्हे मरने के लिए आया हु। मेरी पत्नी की, इज्जत पर आज बात आई है।
इसी लिए में आज तुम तीनो को मरने वाला हु। बाबूराव इतने गुस्से में था की, बाबूराव ने एक झटके में उन तीनो मार डाला। बाबूराव को अपने सामने देख आशालता बहुत रोने लगी। बाबूराव कहता है की, आशा अब तुम ये शहर छोड़के दूसरे शहर चली जाओ। (Amavasya-Amavasya 2024) उसमे ही तुम्हारी भलाई है। इतना कहते ही बाबूराव की, आत्मा को मोक्ष मिल जाता है। दोस्तों कभी किसी को बिना वजह परीशान नहीं करना वरना आपको तो मालूम है। जैसी करनी, वैसी भरनी।
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