Andhvishwas in Hindi | भारत में अन्धविश्वास का सबसे बड़ा प्रसार |

भारत में अन्धविश्वास - Andhvishwas in Hindi

अंधविश्वास (Andhvishwas in Hindi) बहुत बार भारत में ही देखा गया है! किसी इस इंसान के घर कुछ मिल गया तो हो गया चमत्कार, किसी स्री को बच्चा हुआ और उसके शरीर पर कुछ चिन्ह जैसा मिला तो हो गया चमत्कार! पर ये सब क्रिया नैसर्गिग रहती है!

Andhvishwas in Hindi



नैसर्गिग दुनिया में इंसान को सबसे पहिले निसर्ग देखने को मिलता है! पर जैसे जैसे इंसान का विकास होता गया वैसे वैसे उसका ज्ञान भी बढ़ता गया! अन्धविश्वास का अर्थ यही है की, आँखे होते हुए भी दूसरे इंसान पर विश्वास कर लेना! पर ये अंधविश्वास एक दिन हम को ही घातक हो जाता है!

जिस प्रकार एक पत्नी और पति अपने पति और पत्नीपर अंधविश्वास रखकर जी रहे होते है! पर एक दिन ऐसा आता है की, पति पत्नी एक दूसरे से अलग हो जाते है! फिर उनका विवाह प्रेम विवाह क्यों ना हो! कहने का अर्थ एक ही है की, भरोसा रखने से पाहिले हम को उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए! क्यों की, हमारी गलती की सजा हमारे बच्चो को मिलती है!

अन्धविश्वास का फैलाव - Andhvishwas Kya Hai

अंधविश्वास (Andhvishwas in Hindi) अभी सभी तरफ देखने को मिलता है! कोई इंसान अपने भविष्य को लेकर तो कोई अपनी जॉब को लेकर, और कुछ लोग तो अपना जीवन साथी भी इसी तरह देखते है! फिर उनका संसार कितनी दूर तक जाता है! ओ बताना मुश्किल है!

हम लोगो एक बात समज में नहीं आती की, संसार कोई दूसरे को नहीं तो सिर्फ हम को चलना पड़ता है! फिर उसमे दूसरे की, लुडबुड क्यों? कितने लोग कहते है की, अपना नसीब अपने हात में होता है! फिर भी हम लोग हमारा हात दूसरे के हात में देके भविष्य क्यों देखते है!

हमको खुद पर ही भरसो नहीं तो हम लोग हमारा भविष्य बना ही नहीं सकते! कितने ऐसे लोग है की, अपनी आँखे खुली रख कर अंधे होने का ढोंग करते है! हम लोग आज की, नई पीढ़ी (Generation) है! समझिये की, हमारे शिक्षक गुरूजी स्कूल की, किताब से कुछ सिखाने के आलावा कुछ भी सीखा रहे है! और बोलते है की, ये भी किताब का ही भाग है! तब हम लोग उनकी सुनोगे क्या? नहीं!

गलत और सही की पहचान - Andhvishwas

क्यों की, हम लोग जानते है की, किताब और गुरूजी का पाठ अलग है! और उनमे कोई साम्य नहीं है! तब हम बोलते है की, गुरूजी आप जो सीखा रहे हो और हमारी किताब में जो है ! उसका कोई तालमेल नहीं है! फिर भी गुरूजी बोलते है की, में जो बोल रहा हु!

वही बराबर है! तो हम लोग उनका विरोध करते है! और बड़े गुरूजी से उनकी शिकायत करते है! कहने तात्पर्य एक ही है! हम लोग हमारी शिक्षा में कोई अड़चन नहीं देख सकते तो हम अपने जीवन के भविष्य में अड़चन क्यों झेलते रहते है! हम जिस गली में, बिल्डिंग में रहते है! उस जगह की, रोज की, क्रिया देखते रहते है!

फिर ओ बुरी रहे या अच्छी ! हमारे इंडियन फेस्टिवल आने के बाद ढोंगी बाबाओ का तो जैसे सैलाब आता है! पर सभी साधु-संत ढोंगी रहते है ऐसा भी नहीं! पर उसमे से ढोंगी कोण? हे हमें समज में नहीं आता! कुछ साधु - संत, तांत्रिक - मांत्रिक ये लोग सिर्फ पैसा कमाने के लिए साधु का वेश बनाते है!

जीवन की परिशानिया - Andhvishwas Par Nibandh

हम लोगो के भावी जीवन में या भविष्य में कुछ परिशानी आई तो हम लोग इस बाबा को दिखाव उस बाबा को दिखाव ऐसा करते है! और ऐसे टाइम पर कोई ढोंगी बाबा हमे मिल जाए तो हम लोग उनको अपना हाथ - पैर दिखाने लग जाते! पर उसका कुछ फायदा नहीं होता! इन ढोंगी बाबाओ कुछ मालूम तो नहीं रहता पर ये लोग हमारे जीवन का विनाश कर देते है! कुछ ढोंगी बाबाओ ने तो लोगो के संसार का विनाश कर दिया है!

आज भी हमारे मन में इतना अंधविश्वास (Andhvishwas in Hindi) है की, हम लोग बीमार होने के बाद डॉक्टर के पास जाने के आलावा इन ढोंगी बाबाओ के जाते है! कितने लोग तो ऐसे है की, इन तांत्रिको की, बात सुन कर अपने बच्चो की तक बलि चढ़ा देते है! इन तांत्रिको की, वजह से घर में सुख-शांति तो आती नहीं बल्कि घर वारिस ही घर से छीन जाता है! और घर में दुःख की, चादर आ जाती है!

इस में किसीको कुछ फायदा नहीं होता! अंधविश्वास ने हमारे मन में इतनी जगा बना डाली है की, हमारे मन से अंधविश्वास जाता ही नहीं! आज भी हमारे मन में भूतो का इतना खौफ है की, कुछ लोग उसीसे मर गए! अन्धविश्वास का प्रचार एकही घर से होता है! फिर ओ गांव में और गांव से शहर में होने में उसे ज्यादा वक़्त नहीं लगता! अंधविश्वास के कारन कितने लोगो ने अपनी धन-दौलत खो बैठे है!

मन की भ्रांतिया - Vishwas aur Andhvishwas

कुछ ढोंगी बाबा बोले-भाले लोगो को बोलते है की, अगर आपको और धन दौलत पाना चाहते है! तो आपको यह विधि करनी चाहिए! इंसान लालच और इच्छा पुतला रहता है! उसे बहोत इच्छा हुई तो ओ अपना घर दार बेचने निकल जाता है! हम जैसे मिडल क्लास लोगो में ऐसे भी अंधविश्वास है की, हम लोग हमरे काम के लिए या फिर ऑफिस में जाने लगते है! पर तभी काली बिल्ली रास्ता काट जाये तो ?



फिर हमारा ये अन्धविश्वास कहता है की, आज हमारा कुछ काम नहीं होगा! और हम लोग घर वापस आ जाते है! इंसान के इस अन्धश्रदा के कारन जो महत्वपूर्ण मीटिंग रहती है! उसका समय निकल जाता है! फिर भी हम लोग उस बेजुबान बिल्ली को दोष देते रहते है की, उस बिल्ली की वजह से मेरा काम नहीं हुआ! पर मेरे भाई तू काम पे जायेगा नहीं तो उसका दोष उस बिल्ली के ऊपर क्यों?

हमारे मन में सिर्फ अन्धश्रद्धा है बाकि कुछ नहीं! हम लोग तो सिर्फ बिल्ली की ही बात कर रहे है! कुछ इंसानो में सिर्फ बिल्ली ही परेशानी नहीं है! उनकी लिस्ट में तो चिमगधर, कौवे, एक पेड़ के ऊपर दूसरा पेड़, ऐसी बहुत सारी अंधविश्वासी बाते हम लोगो के मन में बसी हुई है! हम लोग ये अंधश्रद्धा निकालने के लिए तैयार नहीं! पर इस अंधश्रद्धे का कुछ फायदा नहीं! क्यों की, अंधश्रद्धा ये सिर्फ अंधश्रद्वा है ! बाकि कुछ नहीं!

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