Jivan Parichay - मनुष्य जीवन की परिभाषा
मनुष्य (Jivan Parichay) जीवन पाने के लिए हमें ८४ योनि के प्रजाति से होकर गुजरना पड़ता है। तब हमें मानव देह की, प्राप्ति होती है। इस जन्म को साधु संत बहुत ही भाग्य और पुण्य का मानते है।
इसी लिए कुछ साधु संत अपने प्रवचन में कहते है की, अगर मनुष्य को फिर से मानव जाती में आना है तो उसे अच्छे कर्म करने चाहिए। पूजा पाठ करना चाहिए। दुसरो की, साहिता करना चाहिए। एनिमल और पेड़ पौधो पर दया और उनके प्रति स्नेह होना चाहिए।
उसके अलावा खुद खुश रहना चाहिए। ये सभी कार्य करने से हमें शायद फिर से मनुष्य देह फिर से मिल जाये। बहुत पाहिले की बात है। लोग इस शरीर को पा कर लोग खुद को नसीब वाला कहते थे। पर आज के कलियुग में लोग मरने की, कामना बहुत करते है।
दुनिया का दस्तूर - Jivan
क्यों की (Jivan Parichay) दुनिया में बेकरी, भ्रष्टाचार और आतंग के कारन इंसान ठीक से जी नहीं पाता। जंगल के जानवरो का जीवन का तो इस से तो बहुत ही अलग है। क्यों की, जानवरो को जीने के लिए एक दुसरो का शिकार करना पड़ता है। और उससे अलग इंसानो का है। ओ अपने स्वार्थ के लिए एक दुसरो का खून करता है।
जानवरो में एक ही ख़ुशी रहती है। और ओ है बहुत बड़ा जंगल ओ भी हरा भरा; जंगल के शाखाहारी जानवर हरी घास खाते है। और शाखाहारी जानवरो को मांसाहारी जानवर खाते है। एक दुसरो का भक्षण करना यही जंगल का कानून है।
जानवरो घर - Animal Home
उनके (Jivan Parichay) रहने का ठिकाना तो एक जंगल ही है। जंगल घर होने की, वजह से ओ हर एक बात और अपनी परसनल लाइफ जीते है। (जैसे की, सेक्स ) अभी जंगल ना होने से जानवर हमारे घरो में ये सब चीजे कर रहे है। जानवरो को एक ही दिमाग है। ओ ऐसा है की, खाना, सोना,और जरूरत की चीजे करना।
जंगली जानवर और पेड़ पौधे ये एक दूसरे के बहुत ही गहरे दोस्त है। जैसे बिल्ली के दात उसके बच्चो को नहीं लगते (Jivan Parichay) उसी तरह जंगली जानवरो के नाख़ून और दाँत पेड़ो को नहीं लगते। जानवरो को रोज की मेहनत करनी पड़ती है। भागना, दौड़ना ये सब चीजे उनकी रोज-मरा की है।
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