Moral Story of Hindi - सोने का हाथ - बीरबल की चतुराई

Moral Story of Hindi - सोने का हाथ - बीरबल की चतुराई

Moral Story of Hindi एक बार की बात है, अकबर बादशाह ने बीरबल से एक दिन पूछा, "बीरबल, तुम्हें यहाँ तक पहुँचने में कितना समय लगता है?"

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बीरबल ने सोचा और कहा, "हुजूर, जब मैं सुबह उठता हूँ, तो पहले मेरे पास एक विचार आता है कि मुझे तुम्हारे दरबार में पहुँचना है। फिर मैं अपनी ऊँगली पर एक छोटी सी चार्ट बाँध लेता हूँ, जिस पर लिखा होता है 'सोने का हाथ'।"

बीरबल की चतुराई - "सोने का हाथ"


Moral Story of Hindi अकबर बादशाह आश्चर्यचकित हो गए और पूछे, "वाकई, 'सोने का हाथ'? क्या ये कोई विशेष तरीका है जो तुम अपने पहुँचने का समय मापते हो?"

बीरबल मुस्कुराते हुए बोले, "जी हुजूर, जैसा कि आप जानते हैं, सोने के हाथ हमें बहुत चाहिए होते हैं। इसी बहाने मैं रास्ते में कई दुकानों पर ठहरता हूँ और वहाँ बेचता हूँ, जिससे मुझे अच्छा मुनाफा मिलता है। फिर जब तक मैं सोने के हाथ नहीं बेच देता, Moral Story of Hindi मैं तब तक यहाँ रुकता रहता हूँ, जब तक कि मेरा सारा माल बिक नहीं जाता। इसीलिए मुझे यहाँ पहुँचने में समय लग जाता है।"





अकबर बादशाह ने बीरबल की चतुराई को समझा और हंसते हुए कहा, "बीरबल, तुम्हारी सोच ही तुम्हारी सबसे बड़ी संपत्ति है।"


इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई और बुद्धिमता का प्रदर्शन किया और उनकी कहानियाँ हमेशा लोगों के दिलों में बसी रही हैं।


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