छाते की कहानी - Umbrella
Umbrella छाता किसे कहते है? छाता ये नाम थोडासा Different भी है! पर मुझे छाते का मतलब आज तक किसीने समझाया भी नहीं। में ऐसा हु। जिसको छत देता हु। मेरी वजह से लड़के-लड़किया, आदमी-औरते, बूढ़े लोग बरसात में गर्मियों में मेरा सहारा लेते है।
जब मेरा जनम हुआ। तब मेरा कलर Black था। जैसे जैसे मेरा जीवन आगे बढ़ने लगा। वैसे-वैसे मेरा रंग भी बदलने लगा। में काले से गोरा, नीला, पीला, पिंक, चटपटा रंग ऐसे बहुत से रंग मेरे जीवन में आने लगे। जिस प्रकार किसी तितली को नए पंख मिल जाते है! उसी प्रकार मुझे भी नए रंगो से भर दिया था।
में जहा भी जाता वह मेरी चर्चा होती, प्रशंसा होती। क्यों की, गर्मिया ख़त्म हो कर बारिश का मौसम शुरू हो गया था। इसी लिए हर एक दुकान पर, ठेले पर मुझे लेने के लिए मेरा मतलब छाता लेने के लिए भीड़ जमा हो रही थी। 'कोई किसी के घर, 'तो कोई किसी के घर, हम लोग जा रहे थे।
अलग सा दिखना - The Blue Umbrella Story
पर Umbrella में थोडासा अलग था। क्यों की उस दुकान दार ने मुझे इस तरह लगाया था की, मुझे लेने के लिए तीन लड़किया और एक लड़का झगड़ा कर रहे थे।
पर में किसके साथ जाऊंगा ये तो मुझे मालूम नहीं था। पर इतना मुझे मालूम था की, आज में किसी के घर मेहमान बनकर जरूर जाऊंगा। में ये सोच रहा था की, मेरा ध्यान उन लोगो की, और गया।
उनमेसे एक लड़की ने बड़ी चालाकी से दुकानदार को पचास रुपये ज्यादा दे कर मुझे खरीद लिया। और ओ लोग निराश हो कर निकल गए। जिस लड़कीने मुझे खरीद लिया उस लड़कीने मुझे चार महीनो के लिए अपना साथी बना लिया।
चार महीने इसी लिए बोला की हमारा कोई Max Life Insurance नहीं होता। बरसात जोर जोर से हो रही थी। और बारिश का मौसम था इसी लिए उस लड़कीने मुझे इतनी अच्छी तरह सभाला की, जैसे कोई माँ अपने बेटे को सभालती है। कुछ दिनों बाद उस लड़की का मुझे पता चला।
ग़ुस्सा का असर - Blue Umbrella Story
उस Umbrella लड़की का नाम उसके रूप को मानसम्मान देता हो जैसे, उसका नाम रुपाली था। रुपाली ग़ुस्से वाली थी ये मुझे १५ दिनों में ही समज आ गया था। क्यों की, एक दिन रुपाली बारिश में से घर आ रही थी। तभी एक गाड़ी वाले ने उसका ड्रेस गंदे पानी से ख़राब कर दिया। और उस गाड़ी वाले के ऊपर का गुस्सा उसने मुझ पर निकल दिया।
उसने मुझे इतनी जोर से दिवार की तरफ फेका की, मेरा एक अंग मतलब तार मुड़के बहार आ गया। १५ दिनों में ही मेरी ऐसी हालत थी। तो चार महीनो में ये मेरे साथ क्या करेगी ? यह सवाल मेरे दिमाग में चोवीसों घंटे चल रहा था।
थोड़े दिनों बाद रुपाली के भाई की, दोस्त उससे मिलने आई। तब उसने उसको पूछा। क्यों रुपाली इस छाते में ऐसा क्या था की, तुमने दुकानदार को ज्यादा पैसे देकर खरीद लिया। तब रुपाली ने उसको कहा की, अबे पागल उस छाते का रंग और उसका अलग डिझाइन हर किसी को आकर्षित करता है।
बेजुबान पर ग़ुस्सा निकालना - Umbrella Story 2024
इसी Umbrella लिए तो मैंने ये छाता ज्यादा पैसे देकर ले लिया। तब मुझे पता चला की, इस लड़कीने मुझे बारिश की वजह से नहीं बल्कि दूसरे लोगो को अपनी और आकर्षित करने के लिए मुझे लिया है। इस पर मुझे बहुत गुस्सा आया। पर बेजुबान जानवर कुछ बोल नहीं पाता उसी प्रकार बेजुबान निर्जीव वस्तुए कैसे बोलेगी।
रुपाली के स्कूल की पूरी तैयारी हुई और उसने मुझे उठाया और स्कूल के लिए निकल गई। रास्ते में ही रुपाली का दोस्त वृषभ उसे मिल गया। बारिश जोरो की होने से रुपाली ने वृषभ को अपने छाते में बुला लिया। स्कूल के दोस्त होने से ओ लोग बाते करते-करते चल रहे थे।
AUTOBIOGRAPHY OF UMBRELLA
Umbrella रास्ते में ही वृषभ ने रुपाली से पूछा की, रुपाली इस छाते की, एक डंडी ऐसी क्यों? तब रुपाली ने वृषभ को क्या कहा मालूम ? ओ कहने लगी की, आज कल कम्पनी वाले छाते आछे नहीं बनाते। खरीदने के बाद जब में घर आई तो मैंने उसे खोल के देखा तो उसकी एक डंडी निकली हुई थी।
बाद में मैंने सोचा की, बरसात का ही मौसम निकलना है। इस तरह उसने झूठ बोलके मुद्दा बदल दिया। उस वक़्त मेरा मन इतना उदास हुवा की, मुझे मेरा जीवन ना के बराबर होने लगा। दो महीने होने के बाद.... एक दिन रुपाली और उसकी दोस्त प्राजक्ता ये दोनों टेलिव्हिजन पर खबर (News ) देख रहे थे।
छाते को दर्द नहीं होता
सभी Umbrella खबरे बारिश और छाते के ऊपर थी। आज बारिश कितनी हुई। किस जगह कम हुई किस जगह ज्यादा। इसी पर सभी खबरे चल रही थी। तभी रुपाली के भाई ने मुझे उठाया और निकल गया। रुपाली के भाई के साथ में एक महीना रहा पर मुझे कभी ऐसा नहीं लगा की, ये जीना बेकार है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे वैसे-वैसे रुपाली ने मेरी हालत ख़राब कर दी थी।
मेरे कहने का मतलब यह था की, मुझे हादसे ज्यादा तोड़ मरोड़ दिया था। जब भी रुपाली मुझे बारिश में लेके जाती तो मेरे अंदर से बारिश का पानी टपकता था। इस वजह से रुपाली मुझे कही भी फेक देती थी। इंसान को मारने पर दर्द होता है। और ओ विरोध भी कर सकता है। पर में एक बेजान वस्तु हु।
AUTOBIOGRAPHY OF UMBRELLA
मुझे Umbrella कहा दर्द होगा। में कैसे विरोध कर सकता हु। मेरी ऐसी हालत हर रोज स्कूल के बाद होती थी। इस वजह से में बहुत ही परीशान हो गया था। पर कुछ कर नहीं सकता था। हर रोज मेरी हालत बेकार हो गई थी। मुझे हर जगह तारो-से बांधा गया था। इस वजह से में छाता कम और बरगद का पेड़ ज्यादा लग रहा था।
थोड़े दिनों का महिमान
थोड़े दिनों बाद बारिश का मौसम ख़त्म हो गया था। बारिश के बुँदे कम और सूरज की, रोशनी ज्यादा थी। इसी लिए मेरी जरुरत अब कम हो गई थी। एक दिन रुपाली स्कूल से ग़ुस्से में आई और घर की सारी चीजों की, तोड़-फोड़ करने लगी।
उन सभी चीजों के बाद मेरा नंबर लग गया और मुझे ऐसे तोडा की, Umbrella मेरा उधर ही राम नाम सत्य हो गया। अगर हम लोगो का भी Max Life Insurance होता तो कितना अच्छा होता। तो दोस्तों में यही पे आप लोगो को अलविदा कहता हु। ये थी मेरी चार महीनो की, जिंदगी।
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