पहिली Barish Ka Mausam का नशा | गांव का मौहल

पहिली Barish Ka Mausam का नशा


मेरा नाम आनंद है। (Barish Ka Mausam) मेरी उम्र २१ साल है। जब भी हम लोग शहर से गांव जाते तो हमें अच्छा लगता था। आज से १३ - १४ साल पहले की बात है। तब मैं ७ - ८ बरस का हूँगा। मेरे पापा मुझे बारिश के मौसम में गांव लेके जाते थे। मुझे आज भी ओ बारिश के दिन याद है।

हम लोग हमारी नानी के गांव आये थे। तब जून का दूसरा सप्ताह ही चल रहा था। हलकी-हलकी सी बारिश चल रही थी। हमारे पास बड़ी गाड़ी थी। उस गाड़ी के काच के ऊपर बारिश के बुँदे मानो जैसे हिरे चमक रहे हो।


पहिली Barish Ka Mausam का नशा





मुझे बरसात में खेलना और भीगना बहुत अच्छा लगता था पर पापा इस बात को लेके मुझ पर बहुत ग़ुस्सा करते क्यों की, मैं बहुत मस्ती करता था।

Pehli Barish Ka Mausam Essay in Hindi - गांव का मौहल


हम लोग जब हमारे गांव आये तो सभी लोग हमारी राह देख रहे थे। उनमेसे सबसे ज्यादा राह देखने वाली मेरी नानी थी। मेरा और नानी का एक अजीब सा रिश्ता था। क्यों की, नानी सबसे छुपते-छुपाते मुझे सब कुछ खाने को देती थी।

गांव मैं आने के बाद सभी मेरे गांव के दोस्त मुझसे मिलने आ गए थे। हम लोग पिछले साल की बारिश और मस्ती की बाते करने लगे। Barish Ka Mausam बाते करते- करते हम लोग इतने खो गए की मुझे किसी का ध्यान ही नहीं रहा। तभी पापा मेरे पास आये।

कुछ पल मैं ऐसे लगा की, हमारे ऊपर होले - होलेसे कुछ गिर रहा था और अचानकसे क्यों बंद हो गया। आँखे खोल के देखा तो पापा हमारे ऊपर छाता खोलके खड़े थे। तभी हमें ऐसास हुवा की जो हमारे ऊपर गिर रहे थे ओ और कुछ नहीं बारिश की बुँदे थी।




पहिली बारिश मजा - Barish Ka Mausam


हमारे गांव पोहचने के एक-दो घंटे बाद ही बारिश की शुरवात हो चुकी थी। इसी लिए पापा छाता लेके आये कही मैं भीग ना जाऊ।

पापा बोलने लगे की, Barish Ka Mausam आनंद चलो घर के भीतर नहीं तो भीग जाओगे। लेकिन मैंने पापा से कहा की पापा आज तो भीगने दो। क्यों की, आज बारिश का पहिला दिन है। मैंने और मेरे दोस्तों ने मेरे पापा से बारिश मैं खेलने की इजाजत ले ली।

उस दिन हम दोस्तों ने बारिश का मजा हमारे खेत मैं ही लिया। दोस्तों पहली बारिश की पहली बून्द का नशा जो होता है ना मैं आपको शब्दों मैं बता नहीं सकता।

बारिश मैं दोस्तों के साथ मस्ती


जिस तरह Barish Ka Mausam की बुँदे हमारे साथ खेल रही थी उसी तरह हम भी बारिश के साथ खेल रहे थे। बारिश के पानी के छोटे-छोटे तालाब हो गए थे। हम लोग कभी उनमें उछलते कभी उन छोटे तालाब का पानी एक-दूसरे पर फेकते। कुछ देर खेलते-खेलते हम लोग बारिश मैं ही सो गए।

उस समय ऐसा लगा की ये Barish Ka Mausam ऐसे ही थम जाये और हम लोग बारिश मैं ऐसे ही खेलते रहे। दोस्तों बचपन की यादो में क्या बात है। मैं आज भी याद करता हु तो ऐसा लगता है की, काश ओ बचपन के दिन वापस आ जाये।


आज भी शहर में पहली बारिश होती है तो मैं हमारे घर के छत पर जा कर पहली बारिश का मजा लेता हु। पर दिल मैं हमेशा एक बात चुबती है। ओ ये की बचपन मैं मेरे साथ गांव के सभी दोस्त हुवा करते थे और शहर में मैं कितना अकेला हो गया हु।

दोस्तों पहली बारिश का मजा अपने दोस्तों के साथ ही आता है।

--------------------------------------------------------------------------------

Post a Comment

और नया पुराने